देवी कूष्माण्डा: नवरात्रि के चौथे दिन की देवी और उनकी आरती का महत्त्व
नवरात्रि के चौथे दिन की पूजा माँ दुर्गा के चौथे स्वरूप **देवी कूष्माण्डा** को समर्पित होती है। देवी कूष्माण्डा को ब्रह्मांड की रचयिता माना जाता है। उनके इस स्वरूप में, वह अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की उत्पत्ति करती हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों को स्वास्थ्य, समृद्धि और उन्नति की प्राप्ति होती है। देवी कूष्माण्डा की आराधना जीवन में सकारात्मकता और उन्नति लाती है।
देवी कूष्माण्डा की पूजा से जीवन में सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है। उनकी कृपा से भक्तों को बल, शक्ति, और समृद्धि प्राप्त होती है। नवरात्रि के इस दिन भक्त विशेष रूप से उनकी आरती और पूजन करते हैं, जो उन्हें कष्टों से मुक्ति और नई ऊर्जा प्रदान करता है।
देवी कूष्माण्डा की आरती का महत्त्व
**देवी कूष्माण्डा** की आरती नवरात्रि के चौथे दिन की पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। इस आरती में माँ की शक्ति, करुणा, और संसार की रचना का गुणगान किया जाता है। आरती के दौरान भक्त माँ के प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण व्यक्त करते हैं, जिससे उन्हें जीवन की कठिनाइयों से निपटने की शक्ति मिलती है।
आरती देवी कूष्माण्डा जी की (हिंदी में)
- कूष्माण्डा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥
- पिङ्गला ज्वालामुखी निराली। शाकम्बरी माँ भोली भाली॥
- लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे॥
- भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
- सबकी सुनती हो जगदम्बे। सुख पहुँचती हो माँ अम्बे॥
- तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
- माँ के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
- तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो माँ संकट मेरा॥
- मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥
- तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
Aarti Devi Kushmanda Ji Ki (In English)
- Kushmanda Jai Jaga Sukhadani। Mujha Para Daya Karo Maharani॥
- Pingala Jwalamukhi Nirali। Shakambari Maa Bholi Bhali॥
- Lakhon Nama Nirale Tere। Bhakta Kai Matavale Tere॥
- Bhima Parvata Para Hai Dera। Svikaro Pranama Ye Mera॥
- Sabaki Sunati Ho Jagadambe। Sukha Pahunchati Ho Maa Ambe॥
- Tere Darshana Ka Main Pyasa। Purna Kara Do Meri Asha॥
- Maa Ke Mana Mein Mamata Bhari। Kyon Na Sunegi Araja Hamari॥
- Tere Dara Para Kiya Hai Dera। Dura Karo Maa Sankata Mera॥
- Mere Karaja Pure Kara Do। Mere Tuma Bhandare Bhara Do॥
- Tera Dasa Tujhe Hi Dhyae। Bhakta Tere Dara Shisha Jhukae॥
यह आरती देवी कूष्माण्डा की अनुकंपा, करुणा और उनकी शक्ति का गुणगान करती है। जो भक्त इस आरती को श्रद्धा से गाते हैं, उन्हें देवी का विशेष आशीर्वाद मिलता है। उनकी कृपा से सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में उन्नति का मार्ग खुलता है।
अन्य आरती :
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देवी कूष्माण्डा की पूजा से प्राप्त होने वाले लाभ
देवी कूष्माण्डा की पूजा और आरती से भक्तों को कई महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त होते हैं। उनकी कृपा से भक्त:
- स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
- आर्थिक समृद्धि और उन्नति प्राप्त करते हैं।
- जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता का अनुभव करते हैं।
- भय और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्राप्त करते हैं।
देवी कूष्माण्डा: ब्रह्माण्ड की रचयिता देवी
**माँ कूष्माण्डा** देवी को ब्रह्माण्ड की रचयिता माना जाता है। उनकी मंद मुस्कान से उन्होंने संसार की रचना की। देवी की आराधना करने से भक्तों को अनंत शक्ति और साहस प्राप्त होता है। उनकी पूजा से जीवन में संतुलन और समृद्धि का वास होता है।
निष्कर्ष: देवी कूष्माण्डा की पूजा और आरती का महत्त्व
नवरात्रि के चौथे दिन देवी कूष्माण्डा की पूजा और आरती करने से भक्तों को स्वास्थ्य, समृद्धि, और शक्ति प्राप्त होती है। देवी की आराधना से भक्तों के जीवन में सकारात्मकता और सुख का संचार होता है। उनके आशीर्वाद से सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं, और साधक को सफलता और उन्नति की प्राप्ति होती है।
उपयोगी जानकारी के लिए देखें:
देवी कूष्माण्डा की पूजा और उनकी आरती भक्तों को जीवन की सभी कठिनाइयों से पार पाने की शक्ति देती है और जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का वास होता है।