सुख करता दुख हर्ता आरती के चमत्कारी प्रभाव | 5 Effective Benefits: Sukh Karta Dukh Harta Aarti Lyrics in Hindi

गणेश जी को दूरवा और मोदक चढ़ाने का महत्व

सुख करता दुख हर्ता आरती : परिचय

“सुख करता दुख हर्ता” आरती भगवान गणेश की एक अत्यंत लोकप्रिय और प्रभावशाली आरती है, जो हर शुभ अवसर पर गाई जाती है। यह आरती गणपति बप्पा की महिमा और उनकी असीम कृपा को दर्शाती है। महाराष्ट्र में गणेशोत्सव के दौरान, खासकर इस आरती का जाप बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ होता है।

इस आरती में भगवान गणेश को सुख देने वाले और दुख दूर करने वाले देवता के रूप में संबोधित किया गया है। इस लेख में हम इस आरती के महत्व, उसके दिव्य शब्दों, और सांस्कृतिक प्रभाव को विस्तार से समझेंगे।

सुख करता दुख हर्ता आरती का महत्व

भगवान गणेश, जिन्हें हम “विघ्नहर्ता” और “सिद्धिविनायक” के नाम से भी जानते हैं, का हिंदू धर्म में बहुत विशेष स्थान है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से ही होती है ताकि वे हमारे सभी विघ्नों को दूर करें और हमें सफलता का मार्ग दिखाएं।

“सुख करता दुख हर्ता” आरती का महत्व इसलिए और भी बढ़ जाता है क्योंकि इसमें भगवान गणेश की महिमा का सुंदर वर्णन है। इसे गाते हुए भक्तों का मन शांत और श्रद्धा से भर जाता है। मान्यता है कि इस आरती के पाठ से भगवान गणेश का आशीर्वाद मिलता है और भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं।

सुख करता दुख हर्ता आरती के बोल – सम्पूर्ण लिरिक्स हिंदी में

सुख करता दुख हर्ता, वार्ता विघ्नाची |
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची ||

सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची |
कंठी झलके माल मुकताफळांची ||

जय देव जय देव

जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति .. जय देव जय देव

जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति .. जय देव जय देव

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा |
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा ||

हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा |
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया ||

जय देव जय देव

जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति .. जय देव जय देव

जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति .. जय देव जय देव

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना |
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना ||

दास रामाचा वाट पाहे सदना |
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना ||

जय देव जय देव

जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति .. जय देव जय देव

जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति .. जय देव जय देव

शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को |
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को ||

हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को |
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को ||

जय देव जय देव

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता .. जय देव जय देव

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता .. जय देव जय देव

अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी |
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी ||

कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी |
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी ||

जय देव जय देव

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता .. जय देव जय देव

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता .. जय देव जय देव

भावभगत से कोई शरणागत आवे |
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे ||

ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे |
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे ||

जय देव जय देव

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता .. जय देव जय देव

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता .. जय देव जय देव

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता .. जय देव जय देव

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता .. जय देव जय देव


यहाँ भगवान गणेश के रूप, उनकी छवि और उनकी महिमा का वर्णन है। यह आरती हमें उनकी दिव्य शक्तियों का अनुभव कराती है।

सुख करता दुख हर्ता आरती का सांस्कृतिक महत्व और गणेशोत्सव में भूमिका

गणेशोत्सव के दौरान महाराष्ट्र और भारत के अन्य हिस्सों में यह आरती विशेष रूप से गाई जाती है। भक्तगण इसे एकत्रित होकर गाते हैं और भगवान गणेश से सुख, समृद्धि और संकटों से रक्षा की प्रार्थना करते हैं।

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भगवान गणेश से जुड़े आध्यात्मिक लाभ

भगवान गणेश को “सिद्धिविनायक” कहा जाता है, जो हमारी सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं। मान्यता है कि “सुख करता दुख हर्ता” आरती के नियमित पाठ से मानसिक शांति और जीवन में सकारात्मकता आती है।

शुद्ध उच्चारण और भक्ति के साथ सुख करता दुख हर्ता आरती का पाठ कैसे करें

आरती गाते समय उच्चारण की शुद्धता और मन की स्थिरता पर ध्यान दें। मन को भगवान गणेश के प्रति समर्पित कर यह आरती करें, जिससे उनकी कृपा सदैव आपके साथ बनी रहे।

“सुख करता दुख हर्ता आरती” का हमारे जीवन पर प्रभाव

इस आरती का प्रभाव हमारे मानसिक और भावनात्मक जीवन पर सकारात्मक रूप में पड़ता है। इससे हमें आत्मिक शक्ति, शांति और संतोष मिलता है। हर सुबह-शाम इस आरती का गायन करने से हमारे घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

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