देवी कालरात्रि: नवरात्रि के सप्तम दिन की देवी और उनकी आरती का महत्त्व
नवरात्रि के सातवें दिन देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। माँ कालरात्रि को महाकाली का रूप माना जाता है, जो सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश करती हैं और अपने भक्तों को बुरी आत्माओं से बचाती हैं। इस दिन, भक्त माँ कालरात्रि की पूजा में विशेष भोग और आरती का आयोजन करते हैं।
उनके इस रूप का पूजन व्यक्ति को भय से मुक्ति दिलाता है और उसे जीवन में आगे बढ़ने के लिए साहस और आत्मबल प्रदान करता है। देवी कालरात्रि को ‘महाकाली’, ‘रक्तदंता’ और ‘शुभंकरी’ के नाम से भी जाना जाता है।
धार्मिक मान्यता है कि माँ कालरात्रि अपने भक्तों को सभी बुरी शक्तियों से बचाती हैं। उनके उपासक शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं, और उनके जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।
देवी कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में किसी भी प्रकार की अज्ञानता, अंधकार और दुःख का नाश होता है और सुख, शांति एवं समृद्धि का आगमन होता है। माता कालरात्रि का आशीर्वाद साधकों के लिए असीमित शक्ति का स्रोत होता है।
देवी कालरात्रि की पूजा का लाभ और आरती का महत्व
माँ कालरात्रि की पूजा करते समय भक्त उनके समक्ष दीपक जलाते हैं, जिसमें तिल या सरसों के तेल का उपयोग होता है। इस दीपक का प्रकाश उन भक्तों के जीवन को प्रकाशमय बनाता है और बुरी आत्माओं का नाश करता है।
माँ की आरती करते समय मन में उनके प्रति असीम श्रद्धा और विश्वास बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। माता कालरात्रि की आरती करने से व्यक्ति को भयमुक्त जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और वह हर संकट का सामना निडरता से कर पाता है।
॥ आरती देवी कालरात्रि जी की ॥
- कालरात्रि जय जय महाकाली। काल के मुंह से बचाने वाली॥
- दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतारा॥
- पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा॥
- खड्ग खप्पर रखने वाली। दुष्टों का लहू चखने वाली॥
- कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
- सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
- रक्तदन्ता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
- ना कोई चिंता रहे ना बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी॥
- उस पर कभी कष्ट ना आवे। महाकाली माँ जिसे बचावे॥
- तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि माँ तेरी जय॥
॥ Aarti Devi Kalaratri Ji Ki ॥
- Kalaratri Jai Jai Mahakali। Kala Ke Munha Se Bachane Vali॥
- Dushta Sangharaka Name Tumhara। Mahachandi Tera Avatara॥
- Prithvi Aura Akasha Pe Sara। Mahakali Hai Tera Pasara॥
- Khadga Khappara Rakhane Vali। Dushton Ka Lahu Chakhane Vali॥
- Kalakatta Sthana Tumhara। Saba Jagaha Dekhun Tera Najara॥
- Sabhi Devata Saba Nara Nari। Gavein Stuti Sabhi Tumhari॥
- Raktadanta Aura Annapurna। Kripa Kare To Koi Bhi Duhkha Na॥
- Na Koi Chinta Rahe Na Bimari। Na Koi Gama Na Sankata Bhari॥
- Usa Para Kabhi Kashta Na Ave। Mahakali Maa Jise Bachave॥
- Tu Bhi Bhakta Prema Se Kaha। Kalaratri Maa Teri Jai॥
देवी कालरात्रि माँ की आरती में उनके शक्तिशाली और दुष्टों का संघार करने वाले स्वरूप का वर्णन किया गया है। माता के इस रूप से न केवल भौतिक बल्कि आध्यात्मिक भय का भी नाश होता है।
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उनकी आराधना से जीवन में सदैव सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। भक्त अपने जीवन के सभी कष्टों और बुरे प्रभावों से मुक्ति प्राप्त करते हैं। यह आरती माता के प्रति असीम श्रद्धा और भक्ति प्रकट करने का एक उत्तम साधन है।
देवी कालरात्रि की पूजा से प्राप्त होने वाले लाभ
देवी कालरात्रि की पूजा से व्यक्ति का भय नष्ट होता है और जीवन में साहस का संचार होता है। उनकी उपासना करने से कठिन से कठिन संकट भी साधक को नहीं तोड़ पाता।
माँ कालरात्रि देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने वाले भक्त को कोई भी कष्ट नहीं छूता और उनके जीवन में निरंतर सुख और शांति बनी रहती है। भक्त उनके मार्ग पर चलकर जीवन में सच्ची समृद्धि और संतोष का अनुभव करते हैं।